तो आपने आउटबाउंड कॉलिंग के बारे में कहीं से सुना और अब आप सोच रहे हैं – क्या यह मेरी मदद कर सकता है? और अगर हां, तो कैसे?
अगर आप यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब आप अपने मौजूदा मेथड्स से हलकी ग्रोथ का सामना कर रहे हैं (बल्क एसएमएस मार्केटिंग, पर्सनल नंबर पर कॉल रिसीव करना, रेफ़ेर्रल वग़ैरा) या फिर आप अपने सेल्स करियर की शुरुआत कर रहे हैं और जानना चाहते हैं कि आउटबाउंड कॉलिंग सही दिशा है या नहीं|
भले ही आप अपने सेल्स करियर की शुरुआत कर रहे हों या फिर अपने बिजनेस को बढ़ाना चाह रहे हों, आउटबाउंड कॉलिंग आपके लिए सही जवाब हो सकता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक ऐसा सेल्स का चैनल है जिसको इस्तेमाल करके आप अपने प्रोस्पेक्टस से सीधा कनेक्ट हो सकते हैं, उनको बहुत ही कम खर्चे में अपना प्रोडक्ट पिच कर सकते हैं और आपका ओवरहेड्स और सेटअप में भी ज्यादा पैसा नहीं लगेगा|
तो क्या है आउटबाउंड कॉलिंग का असल मतलब? यह कैसे काम करता है? कितने प्रकार के आउटबाउंड कॉलिंग होते हैं इन सब के लाभ क्या है? और आउटबाउंड कॉलिंग करने के कौन से बेस्ट प्रैक्टिसेज हैं जो आप इस्तेमाल कर सकते हैं? आउटबाउंड कॉलिंग के कौन से टूल्स आपको यूज़ करना चाहिए? और सबसे जरूरी चीज, क्या यह आपके लिए सही है या नहीं? इस आर्टिकल के माध्यम से हम यह सारी चीजें समझने की कोशिश करेंगे|
आउटबाउंड कॉलिंग का क्या मतलब है? | What is outbound calling in Hindi?
जब किसी कंपनी का सेल्स एजेंट लोगों को कॉल करके उस कंपनी के प्रोडक्ट का ऑफर दे, या फिर सर्विसेज दे, या फिर उनको कॉल करके उनसे पहली हुई बात पर उनका फॉलोअप ले, इस प्रोसेस को आउटगोइंग कॉलिंग कहते हैं| इस प्रोसेस को फॉलो करने के पीछे का आईडिया यह है कि आप अपने होने वाले कस्टमर्स को पहले से कॉल करके उनको परचेस के लिए , या फिर एक अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए तैयार कर देते हैं| आउटबाउंड कॉलिंग का इस्तेमाल अक्सर टेलीमार्केटिंग में होता है, कस्टमर सर्विस देने या फिर नई लीडस् बनाने के लिए|
तो अगर आप एक प्रोडक्ट या सर्विस वाला बिजनेस चला रहे हैं, आप एक सेल्स एजेंट को रखेंगे जो आपकी कंपनी के लिए आपके प्रोस्पेक्टस को कॉल करेगा और आपके सर्विसेज को बेचेगा| ऐसा करने से आप का लगभग 70% समय फ्री हो जाता है जो कि आप अपने बिजनेस में लगा सकते हैं और उसको बढ़ाने का सोच सकते हैं| ऐसा करने से आपके सेल्स एजेंट टेली मार्केटिंग करना, कस्टमर सर्विस देना और नई लीडस् बनाने की कला बहुत अच्छी तरीके से सीख जाएंगे|
आउटबाउंड कॉलिंग के प्रकार और कौनसी आउटबाउंड कालिंग आपके लिए सबसे अच्छी है? | Types of outbound calling in Hindi
1. कोल्ड कॉलिंग
कोई कॉलिंग इस प्रकार की आउटबाउंड कॉलिंग का नाम है जिसमें आप एक लीड को कॉल करते हैं जिससे आप पहले कभी मिले ना हों या जिसने आपको कॉल करने को बोला ना हो| यह ऐसा हुआ जैसे कि आप किसी अनजान आदमी के घर जाकर उसे कुछ बेचने की कोशिश करें| आपको नहीं मालूम कि सामने खड़ा आदमी आपसे बात करना चाहता है या नहीं, लेकिन आप फिर भी उससे बात करके उसको कुछ बेचना चाहते हैं|
यह तरीका सही है अगर आप एक ऐसा प्रोडक्ट बेच रहे हैं जिसकी कीमत ज्यादा नहीं है और जो लोग 1-3 कॉल्स के बाद खरीद लेते हैं| कोल्ड कॉलिंग एक मुश्किल तरीका है क्योंकि ज्यादातर लोग जिनको आप कॉल करते हैं वह आपसे बात करना नहीं चाहते| लेकिन अगर आप एक उपयुक्त डेटाबेस का इस्तेमाल करें, और आपके पास एक अच्छी सेल्स पिच है जो आपने बोहत तैयार कर रखी है, तो आप लगभग 100 डील्स में से 5 से 10 डील्स क्लोज कर सकते हैं| यह आपके लिए काफी अच्छा हो सकता है अगर आपका बिजनेस नया है और आपके पास लगातार नहीं लीड्स और सेल्स आ रही हों|
और तो और, आपके कॉलर्स को बहुत सारी लीडस् का डायरेक्ट एक्सेस मिल जाता है| यह उनके लिए अपने शुरुआती डर को खत्म करने का और आपके प्रोडक्ट को बेचने का एक बहुत अच्छा तरीका है| अपने आउटबाउंड कॉलिंग करियर को स्टार्ट करने के लिए यह एक बहुत अच्छा स्टार्टिंग प्वाइंट भी हो सकता है|
2. वार्म कॉलिंग
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति को कॉल कर रहे हैं जिससे आप पहले मिल चुके हैं, या फिर जिसने आपके प्रोडक्ट या सर्विस में दिलचस्पी दिखाई हो, ऐसी कॉलिंग को वार्म कॉलिंग कहते हैं| यहां पर आप जिस को कॉल कर रहे हैं उसकी आवश्यकता के बारे में आपको पहले से पता होता है, इसलिए बात करना थोड़ा आसान होता है|
एक बिजनेस होने के नाते आप वार्म कॉलिंग तभी कर पाते हैं जब आपके पास कुछ ऐसी लीडस् हों जो आपके प्रोडक्ट या सर्विस में पहले से दिलचस्पी दिखा रही हों| एक कॉलर होने के नाते अगर आप अपने लीडस् को अच्छी तरह से समझना चाहते हैं और अगर आप उनको सिर्फ प्रोडक्ट बेचने के अलावा उनके मुश्किल सवालों का जवाब देना चाहते हैं, तो यह कालिंग का सबसे अच्छा तरीका है| और तो और, वार्म कॉलिंग आपको ऐसे बड़े डील्स को आगे ले जाने में मदद करती हैं जो कि आप कोल्ड कॉलिंग के जरिए नहीं कर सकते|
3. लीड फॉलो अप कॉल्स
लीड फॉलो अप कॉल आप ऐसे कस्टमर्स को करते हैं जिन्होंने पहले कभी आपके प्रोडक्ट या सर्विस में दिलचस्पी दिखाई हो, लेकिन अभी तक ख़रीदा ना हो| ऐसे कॉल्स के माध्यम से आप अपनी लीड्स से एक पर्सनल संबंध बनाते हैं, उनको अपने प्रोडक्ट के बारे में और जानकारी देते हैं, उनके सवालों का जवाब देते हैं और डील को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं|
ऐसी कॉल्स को करने के लिए आपके पास प्रोडक्ट की जानकारी, बात करने का तरीका और लीडस् को पैसे देने वाले कस्टमर में बदलने का जज्बा होना चाहिए| कोई कभी भी आपसे पहली कॉल में कुछ नहीं खरीदेगा| इसीलिए एक बिजनेस होने के नाते, आपके लिए समय पर फॉलो अप लेना बहुत जरूरी है| अगर आप का प्रोडक्ट कम कीमत का है, तो आप डील 1-3 फॉलो अप में भी क्लोज कर सकते हैं|
4. अपॉइंटमेंट सेटिंग कॉल्स
अगर आप एक ऐसे बिजनेस में है जिसमें आपको अपने प्रोस्पेक्ट से मिलकर उसको कुछ बेचना हो, जैसे कि रियल एस्टेट या शिक्षा, तो आपको कॉल करके एक अपॉइंटमेंट लेना होगा जहां पर आप उनसे मिल कर अपना प्रोडक्ट या सर्विस बेच सकें|
एक सेल्स एग्जीक्यूटिव होने के नाते अगर आपके पास अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स है, और अगर आपको प्रोडक्ट की जानकारी है, और अगर आप लोगों से मिलकर उनको अपना प्रोडक्ट या सर्विस में उत्सुक कर सकते हैं, तो अपॉइंटमेंट लेना आपकी स्पेशलिटी बन जाएगी| यह कला आपके मार्केट में आपके प्रतियोगियों से आपको आगे ले जाएगी|
आउटबाउंड कॉलिंग की बेस्ट प्रैक्टिसेज जिससे आप कम काम करते हुए ज़्यादा रिजल्ट पा सकते हैं | Outbound calling best practices to follow in Hindi
1. प्री कॉल प्रिपरेशन
एक आउटबाउंड कॉल करते समय आप किसी भी व्यक्ति को पहली बार कॉल कर रहे हैं, तो ऐसी कॉल को बिना प्लान के नहीं करना चाहिए| अगर आप बिना तैयारी के ऐसी कॉल करेंगे, तो एक गलती होगी और आपका प्रोस्पेक्ट आपके हाथ से निकल जाएगा|
प्री कॉल प्रिपरेशन करने से आप इस बात की पुष्टि करते हैं कि आपके पास सारी जानकारी है और आप कॉल करने के लिए तैयार हैं| कॉल करने से पहले अपने प्रोस्पेक्ट के बारे में अच्छी तरह से जानकारी निकालें, उनके इंटरेस्ट को पहचाने और उनकी जरूरतों को समझें| ऐसा करने से आपके और आपके प्रोस्पेक्ट के बीच में विश्वास बढ़ेगा और आपके डील क्लोज करने की क्षमता में बढ़ाओ आ जाएगा|
2. इफेक्टिव स्क्रिप्टिंग
अब जब आपने प्री कॉल प्रिपरेशन कर लिया है, तो आपको अपनी सफलता बढ़ाने के लिए एक अच्छी सेल्स स्क्रिप्ट चाहिए| यह स्क्रिप्ट आपके टारगेट ऑडियंस के हिसाब से बनी होनी चाहिए जिसमें आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में ज़रूरी जानकारी दे रहे हों|
एक असरदार स्क्रिप्ट को इस्तेमाल करके आप अपनी सेल्स कॉल को और अच्छा बना सकते हैं और इस बात की संतुष्टि कर सकते हैं कि आपके प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में सारी जानकारी आपके प्रोस्पेक्ट को दे दी गयी| ऐसा करके आप अपनी लीड्स को क्लोज करने की क्षमता बढ़ा सकते हैं|
3. एक्टिव लिसनिंग
मान लीजिए आप किसी से बात कर रहे हैं और यह शख्स आपके सामने उल्टी-सीधी बात कर रहा हो जिसका कोई सर पैर ना हो|
आपको कैसा लगेगा?
आप निराश होंगे|
और अगर ऐसा व्यक्ति आपको दोबारा कॉल करेगा, तो आप उठाएंगे नहीं|
आपके प्रोस्पेक्ट भी कुछ ऐसी ही सोच रखते हैं|
इसीलिए आपको उनकी बात सुननी चाहिए| अपने प्रोस्पेक्ट के शब्दों पर और उनके बात करने की आवाज पर खास ध्यान देना चाहिए| उनके सवालों का जवाब दें और उन की परेशानियों का हल करें| ऐसा करके आप अपने कस्टमर्स से अपना कम्युनिकेशन सुधार सकते हैं और अपने रिश्ते और मजबूत कर सकते हैं|
4. हैंडलिंग ऑब्जेक्शंस
आपके प्रोस्पेक्ट के दिमाग़ में आपके प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदने से पहले कई सवाल आएंगे| इससे पहले कि वह आपका प्रोडक्ट खरीदे, आपको यह सारे सवालों के जवाब देने होंगे|
इन ऑब्जेक्शंस को हैंडल करने के लिए आपको सबसे पहले सोचना होगा “इनको किस चीज का डर है?” फिर आपको उस डर को निकालने का सबसे अच्छा तरीका ढूंढना होगा| एक बार आपने यह सफलतापूर्वक कर दिया, फिर डील क्लोज होना बहुत आसान है|
5. फॉलो अप एंड परसिस्टेंस
आपने कॉल बोहत तैयारी से की, आपने अपने प्रॉस्पेक्ट्स को ध्यान से सुना, उनके सारे सवालों का जवाब दिया, फिर भी वह दिलचस्पी तो दिखा रहे हैं लेकिन प्रोडक्ट खरीदने को तैयार नहीं| ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी पहली कॉल पर नहीं खरीदता| आपको कॉल्स ,इ-मेल और मैसेज करके अपने प्रोस्पेक्टस से लगातार फॉलो-उप लेना होगा कई बार, तब जाकर वह आपसे खरीदने को तैयार होंगे|
आपको अपने कस्टमर को कॉल करके लगातार अपने ऑफर के बारे में याद दिलाना होगा क्यूंकि हो सकता है उनके लिए अभी आवश्यक नहीं हो लेकिन जब उनकी आवश्यकता बढ़े तो उनको याद आना चाहिए कि आप लगातार फॉलोअप लेते थे| निरंतर फॉलोअप लेने से आपके प्रोस्पेक्ट को लगता है कि आपको उसकी फिक्र है| ऐसा करने से आपका कस्टमर आपके ऊपर विश्वास करने लगता है और आप की विश्वसनीयता बढ़ जाती है| तो अगर वह आपसे खरीद भी नहीं रहे, फिर भी वह आपको भूलेंगे नहीं| हो सकता है वह अपने किसी जानने वाले को आपके बिजनेस के बारे में बता भी दें|
आउटबाउंड कॉलिंग के फायदे: कैसे पता करें कि आउटबाउंड कॉलिंग आपके लिए है या नहीं | Benefits of outbound calling in Hindi
1. नई बिज़नेस अपॉर्चुनिटी उत्पन्न करना
किसी भी बिजनेस को जिंदा रहने के लिए उसमें नई अपॉर्चुनिटी लाना बहुत जरूरी है| आउटबाउंड कॉलिंग के द्वारा आप नयी बिजनेस अपॉर्चुनिटी बना सकते हैं| आउटबाउंड कालिंग का
इस्तेमाल करके आप अपने संभावित कस्टमर और प्रॉस्पेक्ट से जुड़ सकते हैं| इस तरह से आप नयी अपॉर्चुनिटी बना सकते हैं जिसके जरिए आप उनसे कनेक्ट कर सकें|
जब आप यह प्रोसेस सही से फॉलो करते हैं, इससे आपका लीड जेनरेशन बढ़ता है, आपके कस्टमर से आपका रिश्ता मजबूत होता है और आपकी मार्केटिंग का खर्चा कम हो जाता है| ऐसा करने से आपको अपने प्रतियोगियों के ऊपर एक फायदा मिल जाता है|
2. कस्टमर रिलेशनशिप बनाना
एक छोटा बिजनेस होने के नाते आप एक दो छोटे डील्स से मुनाफा नहीं कमा पाएंगे| अपनी आय को बढ़ाने के लिए आपको अपने मौजूदा कस्टमर्स को अपने बिजनेस के अंदर रखना होगा| इसी वजह से आपको अपने कस्टमर्स के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाना जरूरी होता है| हम यहां आपको दो तरीके बताएंगे जिससे आप अपने कस्टमर से आउटबाउंड कॉलिंग के द्वारा मजबूत रिश्ते बना सकते हैं
- लगातार कॉल करना और फीडबैक के लिए पूछना
- ऐसा करने से आपके प्रोस्पेक्टस/कस्टमर्स को आपके प्रोडक्ट या सर्विस के साथ एक अद्भुत अनुभव होता है और अगर उनकी कोई समस्याएं होती हैं तो उनका समाधान जल्दी हो जाता है|
- अपने कस्टमर्स की जरूरतों का ध्यान रखें और उनको सबसे अच्छे ऑफर्स के साथ लगातार कॉल करें| ऐसा करने से आप इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि उनको जब आपके काम से संबंधित किसी भी चीज़ की जरूरत होगी, तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम आपका ही आएगा|
3. ब्रांड अवेयरनेस सुधारना
मान लीजिए आपने लाइफ इंश्योरेंस का बिजनेस शुरू किया| कोई आपको जानता नहीं है और इमानदारी से देखा जाए तो कोई आपके बारे मे सोचता भी नहीं है| लेकिन क्या होगा अगर आपको एक ऐसी लिस्ट मिल जाती है जिसमे 100 लोगों को गाड़ी के इंश्योरेंस की बहुत जल्द ज़रुरत है| अगर आप उनके बारे में कायदे से सोचेंगे और उनको इंश्योरेंस की सारी चीजें ढंग से समझाएंगे, तो वह भी आपकी बात सुनेंगे| एक छोटा बिजनेस होने के नाते मैं भी यही करता हूं और काफी टाइम से करते आया हूँ|
ऐसा करने से आप अपने बिजनेस की जागरूकता शुरुआती दिनों में बढ़ा सकते हैं| उसके बाद लोग आपके नाम को आपके काम से जानने लगते हैं| फिर बहुत जल्द आपको रेफरल बिजनेस भी मिलने लगता है|
4. सेल्स और रेवेन्यू बढ़ाना
यह आउटबाउंड कॉलिंग के लिए एक प्रमुख उदाहरण है| अगर आपको बिजनेस करते हुए कुछ समय हो गया है, तो आपके पास बहुत सारे कांटेक्ट होंगे| अगर आप थोड़ा समय निकालकर उन कांटेक्ट में से ऐसे लोग फ़िल्टर करें जो कि आपसे खरीदने में इंटरेस्टेड होंगे, तो आपके लिए और आपके बिजनेस के लिए बहुत फायदा हो सकता है|
जब भी आपके पास कोई नया ऑफर आता है, आप ऐसे लोगों को सीधा कॉल कर सकते हैं और फिलेटर्स के जरिए ऐसे लोग उनमें से ढूंढ सकते हैं जो कि आपसे खरीदने में वाकई में इंटरेस्टेड है| अंत में आप उनसे फॉलोअप लेकर डील क्लोज करना शुरू कर सकते हैं| ऐसा करने से आपको अपने मौजूदा कॉन्टेक्ट्स को बेचने का और उनसे अपनी आय बढ़ाने का एक आसान तरीका मिल जाता है|
5. कस्टमर फीडबैक इकट्ठा करना
आउटबाउंड कॉलिंग का इस्तेमाल करके अपने मौजूदा कस्टमर्स से और अपने प्रॉस्पेक्ट्स से सर्वे ले सकते हैं या फिर उनसे फीडबैक इकट्ठा कर सकते हैं|फीडबैक लेने से आप अपने प्रोडक्ट और अपने सर्विस को लगातार सुधार सकते हैं| ऐसा करने से आपके प्रोडक्ट का ओवरऑल एक्सपीरियंस आपके कस्टमर्स के लिए सुधरता है| अंत में आपका बिजनेस बढ़ता है और आप ज़्यादा कस्टमर्स/डील्स को क्लोज कर सकते हैं|
यह करने के लिए आपके सेल्स एजेंट को बहुत ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं होती| उनको बस कुछ सवाल पूछने होते हैं और फिर कस्टमर के जवाब को ध्यान से सुनना होता है| और तो और कस्टमर्स अमूमन फीडबैक देने में बहुत सहायक होते हैं|
आउटबाउंड कॉलिंग ढंग से करने के टूल्स और तकनीक | Outbound calling tools in Hindi
आउटबाउंड कॉलिंग का केवल यह तात्पर्य नहीं होता कि आपने किसी को हायर किया और फिर उनको एक लिस्ट दे दी जिससे वह कॉल कर सकें| अगर आपने आउटबाउंड कॉलिंग ढंग से नहीं करी, तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| आप ऐसी परिस्थिति में फंस सकते हैं जहां
- आपके सेल्स के लोग कॉल करने का सिर्फ नाटक करेंगे|
- सेल्स के लोग जरूरी फॉलो-उप्स भूल जाएंगे जिसकी वजह से आपको काफी नुकसान हो सकता है|
- वह गलत नंबर डायल करेंगे, कॉल का ब्योरा गलत लिखेंगे जिसकी वजह से समय और ऊर्जा की बर्बादी होगी और आपके कंपनी का नाम डूबेगा|
- आप अपनी लीडस् को मैनुअल तरीके से संभालने लगेंगे जिसमें आपका समय ज़्यादा जाएगा|
कैसे इन समस्याओं को टालना है
आउटबाउंड कॉलिंग के जरूरी औज़ार जो आपको अपना काम करने में मदद करते हैं
1. लीड मैनेजमेंट टूल
अगर आप एक बिजनेस चला रहे हैं और आउटबाउंड कॉलिंग प्रोसेस शुरू करने का सोच रहे हैं, तो आपको लीडस् की जरूरत होगी| और अगर आपने इन लीडस् को ढंग से नहीं संभाला, तो आपका आउटबाउंड कॉलिंग प्रोसेस ढंग से नहीं चल पाएगा| आपके सेल्स के लोग आपका सारा डाटा मिक्स करने लगेंगे| वह ऐसी लीडस् पर अपना समय बर्बाद करेंगे जो आपसे खरीदना नहीं चाहते| कभी तो ऐसा होगा कि वह एक ही प्रोस्पेक्ट को दो अलग-अलग कोटेशन दे देंगे जिससे कि आपका डील्स क्लोज होने की क्षमता कम होगी|
एक सीआरएम आपको अपने सारे सेल्स के प्रोसेस को मैनेज करने का एक आसान तरीका देता है जहां पर आप अपनी सारे लीड के सोर्सेस को एक जगह इकट्ठा कर सकते हैं, और फिर एक ही जगह से इनको मैनेज कर सकते हैं| यहां से आप अपने लीड से हुए सारी बातचीत का ट्रैक भी रख सकते हैं|इससे आप अपनी लीडस् और उनकी जरुतों को बेहतरत ढंग से समाज पाओगे|
2. ऑटो डायलर

यहां से आपके सेल्स के आदमी को सिर्फ एक बटन क्लिक करना होता है और कॉल लग जाती है| कॉल खत्म करने के बाद वह नोट्स ले सकते हैं और नेक्स्ट बटन क्लिक करके अगली लीड को ऑटोमेटिकली डायल कर सकते हैं| ऑटोडायलर सॉफ्टवेयर आपके आउटगोइंग कॉलिंग क्षमता को बढ़ाता है और आप के समय और ऊर्जा को घटाता है जो कि आप मैन्युअल डायल करने में लगाते हैं|
ऑटोडिअल इस्तेमाल करने से समय बर्बाद नहीं होता और कन्फ्यूजन भी नहीं होता| इस तरह आप ज़्यादा कॉल कर सकते हैं और ज़्यादा लीडस् क्लोज कर सकते हैं|
3. फॉलो-अप एप्प

अगर कोई लीड आपके प्रोडक्ट में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखता है, तब भी वह आपसे पहली कॉल पर नहीं खरीदेगा| आपको कई बार कॉल करनी पड़ेगी और अगर आप इनमें से कोई भी फॉलो-उप भूल जाते हैं तो, आपके हाथ से डील निकल जाएगी| सारे फॉलो-उप्स को याद रखना मुमकिन नहीं होता| इसीलिए आपको एक फॉलो-उप एप्प चाहिए|
फॉलोअप एप्प का इस्तेमाल करके आप अपने कॉल्स के फॉलो-अप्स तारीख और समय के हिसाब से डाल सकते हैं, और फिर जब आपको कॉल करने का समय आएगा, तब आपको एक रिमाइंडर नोटिफिकेशन मिल जाएगा|
इस तरह से आपको यह याद रखने की जरूरत नहीं है आपको अगला फॉलो-अप कब लेना है| केवल अपने प्रोस्पेक्ट से पूछिए कि “हम कब दोबारा बात कर सकते हैं?” और फिर उसको फॉलोअप एप्प में डालकर भूल जाइए| एप्प अपने आप याद रखेगा और आपको नोटिफिकेशन दे देगा जब कॉल का समय आएगा|
4. कॉल रिकॉर्डिंग एंड मॉनिटरिंग

बिना निगरानी के लोग काम नहीं करते| इसीलिए एक बिजनेस के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि अपने कॉलर्स पर निगरानी रखें| कॉल रिकॉर्डिंग आपके बिजनेस के लिए सीसीटीवी की तरह काम करता है| एक कॉल मॉनिटरिंग सिस्टम के द्वारा आप अपने टेलीकलर्स के सारे कॉल पर निगरानी रख सकते हैं और यह जान सकते हैं कि हर एक कॉल की अवधि क्या रही| इससे आपको पता चलेगा कि आपके टीम मेंबर्स काम कर रहे हैं या नहीं|
कॉल रिकॉर्डिंग्स के जरिए आप अपने नए टेलीकॉलर्स को ट्रैन भी कर सकते हैं| आप पुरानी अच्छी रिकॉर्डिंग्स को केस स्टडीज़ और ट्रेनिंग मटेरियल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं| कॉलिंग टीम में आने वाले नए लोग इन कॉल्स को सुन सकते हैं और कोशिश कर सकते हैं उसको रिपीट करने की| इस तरह से वह ट्रैन भी हो जाते हैं और आपका समय भी बच जाता है|
5. एनालिटिक्स एंड रिपोर्टिंग

जब आप दिन के आखिर में बैठकर अपनी काम्पैग्न्स की रिपोर्ट चेक करते हैं तब आपको सारा दिन जो काम हुआ उसकी पूरी डिटेल चाहिए|
- किस टीम मेंबर ने कितनी कॉल्स करीं?
- कॉल्स पर उनकी क्या बात हुई?
- क्या उन्होंने कोई डील क्लोज करी?
- और आपके बिज़नेस में किस तरीके से चीज़े आगे बढ़ रही है?
यहां पर एक असरदार रिर्पोटिंग सिस्टम काम आता है| इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से आप आसानी से यह देख सकते हैं कि आउटबाउंड कॉलिंग डाटा जैसे के नंबर ऑफ कॉल्स, कॉल का समय, लीड कौनसी स्टेज पर है और कितनी लीड कन्वर्ट हो रही हैं, यह सब देख सकते हैं| इससे आपको अपने कॉलिंग कैंपेन की क्षमता का अंदाजा होता है, जिसका इस्तेमाल करके आप अपने बिजनेस को सुधारने का डिसीजन ले सकते हैं|
आउटबाउंड कॉलिंग करते टाइम क्या नहीं करना चाहिए | Pitfalls to avoid in outbound calling in Hindi
हालांकि आउटबाउंड कॉलिंग आपके बिजनेस के लिए एक बहुत कीमती औज़ार है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए|
- निजता की कमी: अगर आप अपने कस्टमर के जरूरत का खासा ध्यान नहीं रख्नेगे तो आउटबाउंड कॉलिंग उनके हिसाब से नहीं होगी| इसीलिए जरूरी है आउटबाउंड कॉलिंग करने से पहले आप अपने प्रोस्पेक्ट को समझें और उसकी जरूरतों के हिसाब से उससे बात करें|
- गलत टाइमिंग: गलत समय पर कॉल करने से या फिर बहुत ज्यादा कॉल करने से आपके कस्टमर आप से परेशान हो सकते हैं और आपका रिश्ता उनसे बिगड़ सकता है| इसीलिए हमेशा कॉल करने से पहले एक एजेंडा बनाएं और कस्टमर से हमेशा पूछे कि क्या यह कॉल पे बात करने का सही समय है या नहीं|
- इनबॉउंड फ्लो: अगर आपके पास इनबॉउंड लीडस् पहले से है तो आपको आउटबाउंड कॉलिंग की जरूरत नहीं| क्योंकि इनबाउंड लीडस् वह लोग हैं जो पहले से आपके प्रोडक्ट ऑफर को देख रहे हैं| उनको अपना प्रोडक्ट या सर्विस बेचना ज्यादा आसान होता है|
- कंप्लायंस की समस्या: अगर इन कानून और कंप्लायंस का उल्लंघन होता है, तो आउटबाउंड कॉलिंग के जरिए आपके बिजनेस पर भारी चालान आ सकता है जैसे कि टेलीफोन कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (TCPA)|
निष्कर्ष | Conclusion
तो आखिरी में यह समझना जरूरी है, अगर सही से किया जाए तो आउटबाउंड कॉलिंग आपके लिए नया बिजनेस लाने से लेकर आपके आय को बढ़ाने में मदद कर सकता है| यह एक ऐसा औजार है जो एक छोटे बिजनेस के लिए बहुत जरूरी हो सकता है और उसको एक सही तरीके से नयी लीडस् और डील्स दिलवाने में मदद कर सकता है| ऐसा करने से आपका छोटा बिजनेस मार्केट में टिक सकता है| लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि आप खाली आउटबाउंड कॉलिंग के बारे में पढ़कर रिजल्ट की उम्मीद नहीं रख सकते| आपको इसे इस्तेमाल करना होगा समझने के लिए| या तो आप खुद शुरू कर सकते हैं या फिर आप एक कॉलर को रख सकते हैं जो आपके लिए आउटबाउंड कॉलिंग करें| आउटबाउंड कॉलिंग शुरू करने के स्टेप्स बहुत ही आसान है|
- अपने प्रोडक्ट ओर सर्विस के हिसाब से अपने प्रोस्पेक्ट्स का एक डेटाबेस खरीदें|
- एक सेल्स पिच तैयार करें जिसके इस्तेमाल से आप अपने प्रोस्पेक्ट्स को कॉल करेंगे|
- आउटबाउंड कॉलिंग के लिए सही टूल या सॉफ्टवेयर ढूँढे, उसमें अपना डाटा अपलोड करें और कॉलिंग शुरू करें|
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